जीवन दर्शन

Kahani – 1 : किसी नगर में एक सेठ रहता था। उसके पास अपार धन-संपत्ति थी। सब तरह का आराम था पर मन अशांत रहता था। हर घड़ी उसे कोई न कोई चिंता घेरे रहती थी। सेठ उदास रहता। एक दिन उसके एक मित्र ने शहर से कुछ दूर आश्रम में रहने वाले साधु के […]

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🕉 यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्। 🕉 देववाणी संस्कृत भाषा जनमानसापर्यंत पोहोचावी या हेतूने कविकुलगुरू कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक येथे शिकणार्‍या काही विद्यार्थ्यांनी “यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्।” ( जे येथे आहे तेच इतरत्र, जे येथे नाही ते कुठेही नाही!) या ब्रीदवाक्याखाली ” CREATIVE THINKERS ” ची सुरूवात केली आहे. 🔸आज सर्वांपर्यंत पोहोचण्याचे

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